नई व्यवस्था से वंचितों को मिल रहा न्याय, भ्रष्टाचार में आई गिरावट
पूर्णिया
सीमांचल जैसे पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा अब बदलाव का सशक्त माध्यम बनती जा रही है। पूर्णिया विश्वविद्यालय की नई शिक्षा व्यवस्था ने संसाधनविहीन व वंचित छात्रों के लिए उम्मीद की किरण जगाई है।
छात्र जदयू पूर्णियाँ के जिला उपाध्यक्ष सह प्रवक्ता किशन भारद्वाज ने बताया कि अब शिक्षा विशेष वर्ग तक सीमित नहीं रह गई है। उन्होंने कहा कि पहले जहां इतिहास जैसे विषय में प्रवेश के लिए 70% अंक अनिवार्य माने जाते थे, अब 55% अंक वाले छात्र भी नामांकन पा रहे हैं। इससे गरीब व मेहनती छात्रों को बराबरी का अवसर मिल रहा है।
किशन भारद्वाज ने एक छात्र का अनुभव साझा करते हुए बताया कि पहले नामांकन सूची में नाम लाने के लिए रिश्वत की मांग होती थी। लेकिन इस बार बिना किसी लेन-देन के छात्र का चयन हुआ, जो पारदर्शी व्यवस्था का प्रमाण है।
उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही में शुरू किए गए ओरिएंटेशन प्रोग्राम की भी प्रशंसा की, जिसमें छात्रों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति, सीआईए (Continuous Internal Assessment) और क्रेडिट सिस्टम की जानकारी दी जा रही है।
अंत में किशन भारद्वाज ने कहा कि यह केवल शैक्षणिक सुधार नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो सीमांचल के भविष्य को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। उन्होंने पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन का आभार प्रकट करते हुए इसे ऐतिहासिक पहल बताया