
बड़हरा कोठी
पूर्णिया जिले के बड़हरा कोठी प्रखंड के सुखसेना गांव स्थित माँ तारा तंत्रपीठ में तंत्रपीठ स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर रजत जयंती समारोह धूमधाम से पूरी भव्यता के साथ मनाया गया। इस अवसर पर श्रद्धालु, सहयोगी , जनप्रतिनिधि और पूजा समिति के पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
समारोह का भव्य उद्घाटन
इस भव्य रजत जयंती समारोह की शुरुआत तंत्रपीठ के पीठाध्यक्ष कृष्ण चंद्र झा उर्फ कुन्नू झा ने की। उन्होंने इस अवसर पर पधारे सहयोगियों (दाताओं) , श्रद्धालुओं और जनप्रतिनिधियों का स्वागत अंगवस्त्र और फूल माला पहनाकर किया।
दीप प्रज्वल्लित कर किया गया कार्यक्रम का शुभारम्भ
इसके बाद समारोह का विधिवत शुभारंभ ललन कुमार चौधरी, सेवानिवृत्त शिक्षक अनिल कुमार झा, शारदानंद मिश्र, सुखसेना पंचायत की मुखिया सरिता देवी, तंत्रपीठ के अध्यक्ष कृष्णचंद्र झा, सचिव अनिल झा, कोषाध्यक्ष शिवेंद्र झा, और राहुल रौशन उर्फ नवाब द्वारा दीप प्रज्ज्वलित और फीता काटकर किया गया।
पीठाध्यक्ष कृष्णचंद्र झा ने किया आभार व्यक्त
पीठाध्यक्ष कृष्णचंद्र झा ने समारोह में उपस्थित सभी दाताओं और श्रद्धालुओं का तंत्रपीठ स्थापना एवं विकास में सहयोग के लिए धन्यवाद करते हुए निरंतर सहयोग का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सुखसेना गांव के लिए यह गर्व की बात है कि हमें माँ तारा से तंत्रपीठ स्थापना की प्रेरणा मिली।
पीठाध्यक्ष ने सभी सहयोगियों और श्रद्धालुओं को तंत्रपीठ के विकास में अपने योगदान के लिए धन्यवाद दिया।
दाताओं और मुखिया की शुभकामनाएँ
प्रमुख दाता ललन कुमार चौधरी ने 25 वर्ष पूर्ण होने पर प्रबंध समिति के सभी पदाधिकारियों को साधुवाद और शुभकामनाएँ दी। उन्होंने निरंतर सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि गांव और समाजसेवियों पर गर्व है।
मुखिया सरिता देवी ने रजत जयंती के अवसर पर प्रबंध समिति के सभी पदाधिकारियों, सदस्यों और सहयोगियों का धन्यवाद करते हुए उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि गांव के धार्मिक स्थल के सौंदर्यीकरण और इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास जारी रहेंगे इस दौरान समारोह को अनिल कुमार झा, शारदानंद मिश्र, अनिल झा, राहुल रौशन उर्फ नवाब सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी संबोधित किया।
माँ तारा तंत्रपीठ का संक्षिप्त इतिहास
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में रामपुरहाट शहर और द्वारका नदी के पास स्थित माँ तारा सिद्धपीठ 13वीं शताब्दी का तांत्रिक मंदिर है। सुखसेना गांव में तंत्रपीठ स्थापना की परिकल्पना सन 2000 में कृष्णचंद्र झा उर्फ कुन्नू झा, शिवेंद्र झा, हेमचंद्र झा उर्फ बउवा, अनिल झा, विश्वमोहन झा, पप्पू मिश्र, सोनी बाबा उर्फ लालबाबा, दमन जी, प्रमोद मिश्र और अन्य ने की।
मंदिर की स्थापना एक नजर में
संकल्प के बाद सन 2001 में श्रद्धालुओं द्वारा सुखसेना दुर्गा मंदिर के पास जमीन दान कर एक फूस का घर बनाकर कलश स्थापित किया गया और पूजा-अनुष्ठान शुरू हुआ। इसके बाद से महाष्टमी के रात्रि विशेष पूजा, हवन और मंत्रसिद्धि अनुष्ठान नियमित रूप से आयोजित होते रहे।
समय के साथ, पंडित नारायण मिश्र, ललन कुमार चौधरी, राजीव कुमार झा उर्फ बॉबी झा, प्रशांत कुमार झा उर्फ बंटी झा और अन्य ग्रामीणों के सहयोग से तंत्रपीठ का भव्य मंदिर निर्माण हुआ और इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई।
इस तरह माँ तारा तंत्रपीठ सुखसेना ने 25 वर्षों के अपने पवित्र इतिहास को रजत जयंती समारोह के माध्यम से सम्मानित किया, जिसमें श्रद्धा, भक्ति और सामुदायिक सहयोग की मिसाल देखने को मिली।

