मार्च के दौरान ऋण माफी, ब्याजमुक्त कर्ज और उत्पीड़न रोकने की उठी मांग
न्यूज़ स्केल रुपौली (पूर्णिया)
रुपौली प्रखंड मुख्यालय स्थित खादी भंडार परिसर से बुधवार को अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (एपवा) के बैनर तले ‘कर्ज मुक्ति मार्च’ निकाला गया। मार्च खादी भंडार प्रांगण से शुरू होकर रुपौली बाजार होते हुए थाना चौक पर सभा में तब्दील हुआ।
मार्च का नेतृत्व कां. सुलेखा देवी, कां. सीता देवी, कां. संगीता देवी समेत दर्जनों महिलाओं ने किया। सभा को संबोधित करते हुए एपवा नेताओं ने कहा कि बिहार में गरीब और जरूरतमंद महिलाएं माइक्रोफाइनेंस संस्थानों और सहायक समूहों से कर्ज लेकर आर्थिक सशक्तिकरण की उम्मीद करती हैं, लेकिन वे कर्ज और महाजनी के मकड़जाल में उलझ जाती हैं। एक कंपनी का कर्ज चुकाने के लिए दूसरी जगह से ऋण लेना उनकी मजबूरी बन जाता है।
नेताओं ने आरोप लगाया कि बढ़ती महंगाई, घटती आय, रोजगार का अभाव और रोजमर्रा की जरूरतों के दबाव में महिलाएं कर्ज लेने पर मजबूर होती हैं। किस्त समय पर नहीं चुका पाने पर कंपनियों द्वारा उत्पीड़न झेलना पड़ता है, जिससे कई महिलाएं मानसिक तनाव, आत्महत्या और पलायन जैसी परिस्थितियों का सामना कर रही हैं। सरकार और प्रशासन इस उत्पीड़न को रोकने में विफल साबित हुए हैं।
सभा में प्रमुख मांगें रखी गईं—
सहायता समूह की सभी महिलाओं के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ किए जाएं।
माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के अत्याचार पर तत्काल रोक लगे।
जीविका समूह से जुड़ी कैडरों को मानदेय दिया जाए।
गरीब महिलाओं को रोजगार के लिए बिना ब्याज का कर्ज सरकार उपलब्ध कराए।
सभा के अंत में एपवा नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।