
बनमनखी
पूर्णिया जिले के हृदयनगर काझी बनमनखी की हदेश्वरी दुर्गा शक्तिपीठ की ख्याति विदेशों तक फैली हुई है. जिले से 35 किलोमीटर दूर बनमनखी प्रखंड के काझी हृदय नगर स्थित हृदेशवरी दुर्गा शक्ति पीठ सती से जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार सती का हृदय यहीं गिरा था. इसलिए इस जगह को हृदयनगर भी कहा जाता है. भारत वर्ष में 52 शक्ति पीठों में मां आदि शक्ति के हृदय गिरने का वर्णन पौराणिक कथा-पुरानों में वर्णित है. यहां कोशी-सीमांचल के अलावा पड़ोसी देश नेपाल, बिहार, झारखंड, बंगाल के श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं. इस क्षेत्र के बुजुर्गों का मानना है कि यह शक्ति पीठ मंदिर हजारों वर्ष पूर्व से स्थापित है. आज एक विशाल एवं भव्य मंदिर है. मान्यता है कि यहां
अद्भुत शक्तियां हैं, यही वजह है कि यहां तांत्रिक भी साधना करने आते हैं. इस मंदिर में मां भगवती की मिट्टी का दो उभर पिंड है. उसी की पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्र के समय श्रद्धालुओं द्वारा मां के चरणों में प्रसाद व चुनरी चढ़ाया जाता है. रीति रिवाज के मुताबिक मां दुर्गे का खोयंछा भराई की भी रस्म अदायगी की जाती है. अष्टमी को निशा बलि की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद माता का पट खोला जाता है. सच्चे मन जो भी भक्त पूजा अर्चना करते उनकी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण होती है. बूढ़े बुजुर्गों का कहना है कि पहले झोपड़ी नुमा घर में मां भगवती की दो पिंडों की पूजा होती थी अब समय के साथ हृदयेश्वरी दुर्गाशक्ति पीठ मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है
फोटो परिचय – हृदयेश्वरी दुर्गा शक्तिपीठ

