
पूर्णिया
पूर्णिया के गौरा पंचायत के अंदेली में शुक्रवार की देर रात संथाली एकादशी दुर्गा पूजा सह मेला धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर पूर्णिया की महापौर विभा कुमारी और कांग्रेस नेता जितेंद्र यादव बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। स्थानीय लोगों और आसपास के श्रद्धालुओं ने दोनों का गर्मजोशी से स्वागत और अभिनंदन किया।
आदिवासी परंपरा की अनूठी झलक
शारदीय नवरात्र के दशमीं तिथि के अगले दिन आदिवासी समुदाय संथाली एकादशी दुर्गा पूजा का आयोजन करता है। अंदेली दुर्गा मंदिर में विधिपूर्वक मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ, आदिवासी अपनी परंपरा दर्शाती नाट्य प्रस्तुतियाँ भी मंचित करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समुदाय के सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का उत्सव भी है।
महापौर विभा कुमारी का संबोधन
महापौर विभा कुमारी ने मौके पर उपस्थित मेला कमेटी के सदस्यों और स्थानीय लोगों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि संथाल समुदाय अपने जीवन में प्रकृति और धरती के सबसे निकट है। महापौर ने आदिवासी समाज की ईमानदारी, कर्मयोगिता और निःस्वार्थ सेवा भावना की प्रशंसा की। उन्होंने उपस्थित लोगों से कहा कि जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं और आवश्यक समय पर अपने कर्मक्षेत्र में संघर्ष करने से कभी न डरें।
कांग्रेस नेता जितेंद्र यादव का संदेश
कांग्रेस नेता जितेंद्र यादव ने संथाली एकादशी दुर्गा पूजा की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मां दुर्गा असत्य पर सत्य और अनाचार पर सदाचार की जीत का प्रतीक हैं। उन्होंने सामाजिक सद्भावना और गंगा-जमुनी तहजीब की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह पर्व हमें हमेशा अपने कर्तव्यों और नैतिक मूल्यों के प्रति सजग रहने की सीख देता है। उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ने पर वे हमेशा लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहेंगे।
मौजूदगी और आयोजन का माहौल
इस अवसर पर कांग्रेस महिला जिलाध्यक्ष मुन्नी मरांडी, बबलू हांसदा, रघु टुडू, दिनेश मरांडी, परंगना मरांडी, कार्नेलिश टुडू, तपेश कुमार यादव, नीतीश मंडल, पैक्स अध्यक्ष सुरेंद्र यादव, छोटू यादव, परवेज आलम सहित कई गणमान्य उपस्थित थे। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मेला स्थल पर जुटकर धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक उत्सव का आनंद लिया।
संथाली एकादशी दुर्गा पूजा का महत्व
संथाली एकादशी दुर्गा पूजा आदिवासी समुदाय के लिए केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता, सांस्कृतिक धरोहर और मानवता के मूल्यों का संदेश भी देती है। माता दुर्गा की आराधना, नाट्य प्रस्तुतियाँ और सामूहिक प्रार्थना यह दर्शाती हैं कि आदिवासी समाज न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज की भलाई के लिए कार्य करता है।

