– जिले के 13वें नेत्रदानी बने निर्मल किशोर अग्रवाल

पूर्णिया ।
नेत्रदान के प्रति लोगों में जागरूकता लाने का दधीचि देहदान पूर्णिया इकाई का प्रयास अब रंग लाने लगा है। जागरूकता रैली और ब्लांइड वॉक और नुक्कड़ सभाओं की वजह से पूर्णिया जिले के लोग अंगदान के महत्व को समझने लगे हैं। शुक्रवार को जहां पूरा राष्ट्र 79वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न में डूबा हुआ था। वहीं दधीचि देहदान समिति पूर्णिया के सदस्य नेत्रदान के अभियान को आगे बढ़ाने के संकल्प को सार्थक कर रहे थे। दरअसल, 15 अगस्त को चिकित्सक डॉ. ए.एन. केजरीवाल को बहनोइ निर्मल किशोर अग्रवाल का निधन हो गया। उनके निधन के उपरांत डॉ. ए.एन. केजरीवाल ने दधीचि देहदान समिति के सदस्य रवींद्र कुमार साह से संपर्क किया। रवींद्र कुमार साह ने इसकी सूचना प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार गुप्ता व जिला उपाध्यक्ष हेना सईद दी। उनसे निर्मल किशोर अग्रवाल का नेत्रदान कराने का आग्रह किया। इसके उपरांत रवींद्र साह ने नेत्रदान कराने के लिए कटिहार मेडिकल कॉलेज की टीम को सूचित किया गया। नेत्रदान की सूचना मिलने पर कटिहार मेडिकल कॉलेज के नेत्रविभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अतुल मिश्रा के निर्देश पर डॉक्टर मासूम अपनी टीम के साथ पूर्णिया पहुंची और निर्मल किशोर अग्रवाल के आंखों का कॉर्निया दान कराया। इसके पहले 14 अगस्त को गुलाबबाग की मंजु देवी को मरणोपरांत नेत्रदान किराया गया। इन दोनों का नेत्रदान करने के बाद शहर में अब नेत्रदानियों की संख्या बढ़कर 13 हो गई है। इन दोनों का नेत्रदान कराने में दधीचि देहदान समिति पूर्णिया के वरीष्ट सदस्य प्रेम कुमार, कोषाध्यक्ष श्रवन कुमार जेजानी ने अहम भूमिका निभाई।
आई बैंक बने तो नेत्रदानियों की बढ़ेगी संख्या
नेत्रदान के अवसर पर समिति के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि हमारा शहर चिकित्सा नगरी के रूप में जाना जाता है। हमारे यहां से तो अब हवाई सेवा की शुरू होने जा रही है। हवाई सफर शुरू होती है हम अब पूरे राष्ट्र से जुड़ जाएंगे। इसके बावजूद आई बैंक के अभाव में हमें दूसरे जिले की मेडिकल टीम पर निर्भर रहना पड़ता है। हमारे यहां सरकारी मेडिकल कॉलेज है। इसके बाद भी आई बैंक की स्थापना नहीं हो रही है। आई बैंक के अभाव में कई बार हमें नेत्रदान मिलने के बाद भी हम कॉर्निया का दान नहीं करा पाते हैं। ऐसे में अगर अपने शहर में आई बैंक की स्थापना हो तो नेत्रदानियों की संख्या में वृद्धि होगी। डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि मृत्यु के उपरांत 6 घंटे तक ही कॉर्निया का दान कराया जा सकता है। अत: अपने शहर में आई बैंक की स्थापना होने नेत्रदान कराने के लिए समय अधिक मिल सकेगा।