नाग पंचमी के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना, तीन पीढ़ियों से सेवा में जुटे हैं प्रेम भगत
पूर्णिया पूर्व
पूर्णिया पूर्व प्रखंड के महाराजपुर पंचायत स्थित बिषरूपा घाट के समीप मनसा देवी धाम में नाग पंचमी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। क्षेत्रीय आस्था का यह केंद्र अब एक महान धार्मिक परंपरा का प्रतीक बन चुका है, जहां नाग देवता की विधिवत पूजा-अर्चना के लिए न सिर्फ पूर्णिया, बल्कि बिहार के अन्य जिलों और देश-विदेश से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।
बताया जाता है कि नाग पंचमी से शुरू होकर पूरे सात दिनों तक यह मेला चलता है, जिसमें श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए धाम पहुंचते हैं।
तीन पीढ़ियों से सेवा में जुटा है प्रेम भगत का परिवार
धाम के पुजारी प्रेम भगत ने बताया कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियाँ इस पवित्र स्थान की सेवा में लगी हैं। नाग पंचमी के दिन विशेष रूप से ‘आप रूपी’ नाग देवता के प्रकट होने की मान्यता है, जो पूरे सावन माह यहीं निवास करते हैं और पूजा के पश्चात पुनः अदृश्य हो जाते हैं।
प्रेम भगत के अनुसार, यदि किसी श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती है, तो वह मंदिर में दान करता है। इस दान से बने मंदिर ट्रस्ट द्वारा कई सामाजिक सेवा कार्य किए जाते हैं:
सैकड़ों गरीब कन्याओं का सामूहिक विवाह
गंभीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों का निशुल्क इलाज
ज़रूरतमंदों को आर्थिक सहायता
उन्होंने कहा कि मंदिर का उद्देश्य अब केवल धार्मिक नहीं, बल्कि समाज उत्थान बन चुका है। विशेषकर महादलित समाज के बच्चों को शिक्षा और जागरूकता के लिए प्रेरित करना ट्रस्ट की प्राथमिकता में है।
नाग पंचमी की मान्यताएं और परंपराएं
हिंदू धर्म में नाग देवता को विशेष स्थान प्राप्त है। वे भगवान शिव के आभूषण माने जाते हैं। नाग पंचमी वर्षा ऋतु में तब मनाई जाती है जब नाग अपने बिलों से बाहर निकलते हैं, और उन्हें दूध चढ़ाकर पूजा करना पुण्यदायक माना जाता है।
पूर्णिया पूर्व के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन को धार्मिक उत्सव की तरह मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर श्रद्धालु देवी-देवताओं को अपने शरीर में आमंत्रित करते हैं और फिर धार्मिक अनुष्ठान के तहत बेत की छड़ी से शरीर पर प्रहार कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। माना जाता है कि इस दौरान वे दूसरों को आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं।
प्रशासनिक व्यवस्था रही सख्त और व्यवस्थित
धार्मिक उत्सव के दौरान भीड़ प्रबंधन के लिए प्रशासन की सक्रियता सराहनीय रही। पुलिस बल की तैनाती और प्रशासनिक निगरानी से श्रद्धालुओं को पूजा में किसी प्रकार की असुविधा नहीं हुई। स्थानीय प्रशासन की सहयोगपूर्ण भूमिका से यह आयोजन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित रूप में सम्पन्न हुआ।