सप्तमी पूजा का रोमांच – ढोल-ढाक की थाप के बीच माता के दर्शन, भव्य लाइटिंग और सजावट
बंगाली कारीगरों की मेहनत – पंडाल और प्रतिमाओं को देने में लगा पिछले एक महीने से बंगाल का हुनर
केदारनाथ और बंगाल टेम्पल थीम – स्थानीय पूजा समितियों ने आकर्षक और इनोवेटिव थीम के पंडाल तैयार किए
हाई-कॉस्ट पंडालों का जादू – 12 लाख से 40 लाख रुपये तक के सात प्रमुख पंडाल आकर्षण का केंद्र

पूर्णिया
इस वर्ष पूर्णिया शहर के दुर्गा उत्सव में शहरवासियों को माँ दुर्गा के भव्य स्वरूप और असाधारण पूजा पंडालों का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। शहर में इस बार कोलकाता, पटना और रांची जैसी रौनक दिखाई देगी। लोग न केवल इनोवेटिव थीम वाले पंडालों का आनंद लेंगे, बल्कि इनमें असम, बंगाल और उत्तराखंड की कला व संस्कृति की झलक भी देख पाएंगे।
इस वर्ष दुर्गा पूजा का सबसे बड़ा आकर्षण कप्तानपुल स्थित 40 लाख रुपये की लागत से बना भव्य पंडाल है, जो असम की चटाई औ

र बंगाल के बांस से बंगाल के कारीगरों द्वारा निर्मित किया गया है। इसके अलावा इस पंडाल में बंगाली वर्ण लिपि के साथ अंग और बंग की समृद्ध संस्कृति की झलक भी दिखेगी! इसके अलावे उत्तराखंड के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर पर आधारित थीम वाले पंडाल भी शहर में स्थापित किए गए हैं। शहर के प्रमुख पंडालों का कुल बजट 12 लाख से 40 लाख रुपये तक है।
दशहरा को खास बनाने के लिए शहर की प्रमुख पूजा समितियां दिन-रात तैयारियों में जुटी हैं। पंडालों और प्रतिमाओं को भव्य और आकर्षक रूप देने के लिए बंगाल से आए कारीगर पिछले एक महीने से मेहनत कर रहे हैं। लोग बेसब्री से सप्तमी पूजा का इंतजार कर रहे हैं।
शहर के सात प्रमुख हाई-कॉस्ट पंडाल
कप्तानपुल – ग्रीनवैली (₹40 लाख)
फ्रेंडशिप क्लब दुर्गा पूजा समिति द्वारा स्थापित यह पंडाल असम की चटाई और बंगाल के बांस से बना है। 55 फीट ऊंचा और 70 फीट चौड़ा यह शहर का सबसे महंगा पंडाल है। इसमें पंडाल निर्माण पर 25 लाख, लाइटिंग पर 7 लाख और प्रतिमा पर 3.50 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इसे श्री इवेंट, गुलाबबाग के रितेश जायसवाल की देखरेख में तैयार किया जा रहा है।
भट्टा दुर्गाबाड़ी (₹35 लाख)
पिछले 110 साल से पूजा की परंपरा निभाने वाले इस पंडाल का थीम बांग्ला वर्ण लिपि पर आधारित है। षष्टी पूजा की रात 10 बजे ढाक, ढोल और मृदंग के बीच माता के दर्शन होंगे।
सार्वजनिक दुर्गा मंदिर, गुलाबबाग (₹25 लाख)
पुराना सिनेमा रोड स्थित यह पंडाल इस बार 1000 बंगाली साड़ियों से सजाया गया है। 700 मीटर तक फैली सजावट में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की झलक दिखाई देगी।
रजनी चौक पूजा समिति (₹20 लाख)
पंडाल को बंगाल के मंदिर के तर्ज पर तैयार किया गया है। प्रतिमा और लाइटिंग का खर्च भी इसी में शामिल है। पंडाल के संरक्षक सांसद पप्पू यादव हैं।
दुर्गा मंदिर, मधुबनी (₹18 लाख)
1917 से बंगाली विधि-विधान के अनुसार पूजा करने वाले इस मंदिर में पंडाल बंगाल के प्रसिद्ध टेंपल की थीम पर तैयार किया गया है। सप्तमी को शाम 4:30 बजे दर्शन के लिए पट खोला जाएगा।
प्रभात पाठागार, खुश्कीबाग (₹15 लाख)
उत्तराखंड के प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर की थीम पर तैयार किया गया यह पंडाल आकर्षक लाइटिंग और बंगाली छाप वाली प्रतिमा के लिए जाना जाएगा।
बाड़ीहाट दुर्गा पूजा समिति (₹12 लाख)
1966 से पूजा की परंपरा निभा रहे इस पंडाल को भी केदारनाथ टेंपल की थीम पर सजाया गया है। षष्टी पूजा की रात 9 बजे दर्शन के लिए पट खोला जाएगा।
पूर्णिया में इस वर्ष दुर्गा पूजा में अधिकांश पंडालों और प्रतिमाओं को बंगाल से आए कारीगरों की देखरेख में भव्य रूप दिया गया है। इससे स्पष्ट है कि इस बार की पूजा में बंगाली संस्कृति की गहरी छाप दिखाई देगी और शहरवासियों को एक यादगार उत्सव का अनुभव मिलेगा।

