शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती गौपालन और गोरक्षा पर जोर देते हुए दिया मार्गदर्शन

पूर्णिया
गुरुवार कों अपराह्न 3 बजे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का आगमन विद्या विहार आवासीय विद्यालय, पूर्णिया में हुआ। उनके आगमन से विद्यालय परिवार में हर्षोंउल्लास का वातावरण रहा बल्कि विद्यालय परिवार के लिये यह पल अत्यंत गौरवपूर्ण अवसर रहा। प्रस्ताविय कार्यक्रम के तहत जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज सर्वप्रथम
विधा विहार आवासीय विद्यालय स्थित श्रीकृष्ण गोशाला पहुँचे, जहाँ उन्होंने वैदिक मन्त्रोंच्चारण के साथ गौमाता की पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने गौपालन और समाज में इसके महत्व पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि गौपालन केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि समाज की नैतिकता और संस्कारों को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।
विद्यार्थियों को अनुशासन और समय प्रबंधन का मार्गदर्शन
पूजा-अर्चना के पश्चात जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने विद्यालय परिसर में अवस्थित रमेश-विजयलक्ष्मी मेमोरियल स्टेडियम में विद्यार्थियों से संवाद किया। उन्होंने विद्यार्थियों को समय, अनुशासन और परिश्रम के महत्व पर प्रेरक मार्गदर्शन दिया। उनके अपने ओजस्वी अभिभाषण ने सभी विद्यार्थियों को उत्साहित किया और जीवन में अनुशासन अपनाने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर विद्यालय के संस्कृत शिक्षक गोपाल झा ने उनका स्वागत संस्कृत भाषा में किया, जिससे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज
विशेष प्रसन्न हुए और विद्यालय की परंपरा की सराहना की।
समाज में गोरक्षा और सेवा भाव की प्रेरणा
इस अवसर पर आयोजित प्रेस वार्ता में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी ने गोरक्षा अभियान की जानकारी दी और समाज से इसके प्रति सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि समाज में गौ सेवा एवं गोरक्षा के कार्यों को बढ़ावा देने से नैतिकता और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा होती है। विद्यालय परिवार की ओर से सचिव राजेश चंद्र मिश्र, निदेशक श्री रणजीत कुमार पाल, प्रधानाचार्य निखिल रंजन, संयुक्त निदेशक श्री दिगेंद्र नाथ चौधरी समेत सभी पदाधिकारी, शिक्षकगण और कर्मचारी उपस्थित रहे और शंकराचार्य जी का हृदयपूर्वक स्वागत किया। आयोजन को सफल बनाने में श्री राम सेवा संघ के राणा प्रताप सिंह, आतिश सनातनी, मुरारी सिंह और अन्य सहयोगियों का विशेष योगदान रहा।
तीन मुख्य प्वाइंट्स:
शंकराचार्य जी ने गौपालन और गोरक्षा के महत्व पर विशेष बल दिया।
विद्यार्थियों को समय प्रबंधन और अनुशासन अपनाने की प्रेरणा दी।
विद्यालय परिवार और राम सेवा संघ के सहयोग से आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

